Bihar Darshan
Saturday, December 31, 2016
Friday, December 30, 2016
Saturday, November 19, 2016
हैरान करने वाले समुद्र के तथ्य = खतरनाक तरीके से बढ़ रहा है समुद्र का
हैरान करने वाले.....
खतरनाक तरीके से बढ़ रहा है समुद्र का....
समुद्र किनारे मिली लोगों को ऐसी अजीबो-गरीब चीजें ......
दुनिया की 7 हैरान कर देने वाली जगहें ... ऐसी जगहें हैं जो बेहद खूबसूरत और आश्चर्यचकित करने वाली हैं. ... समुद्र में गुफाएं ... दुनिया की सबसे बड़ी खाली जगह- रेत के ये समंदर ...
जानिये महासागरों के हैरान करने वाले तथ्य.
नमस्कार मित्रों, उम्मीद है आप लोगों को हमारे लेख पसंद आते होंगे। हमारी यही कोशिश रहती है कि आप लोगों के लिए मनोरंजक और रोचक जानकारियों वाले लेख लिख सकें
(समुद्र को सागर, पयोधि, उदधि, पारावार, नदीश, जलधि, सिंधु, रत्नाकर, वारिधि आदि नामों से भी पुकारा जाता है।
अंग्रेजी में इसे सी (sea) कहते और महासागर को ओशन (ocean) कहते हैं।
ब्रह्मांड में धरती धूल का कण भी नहीं। मान लो अगर धरती धूल के कण के बराबर है
तो सूर्य संतरे के बराबर होगा। आज भी इस धरती पर 70 प्रतिशत से अधिक जल है।
धरती के वजन से 10 गुना ज्यादा इस धरती ने जल को वहन कर रखा है।
मानव आबादी धरती के मात्र 20 से 25 प्रतिशत हिस्से पर रहती है
उसमें भी अधिकतर पर जंगल, रेगिस्तान, पहाड़ और नदियां हैं। इस 20 से 25 प्रतिशत हिस्से पर ही रहस्यों के अंबार लगे हुए हैं।
ऐसे में समुद्र के 70 से 75 प्रतिशत हिस्सों को तो अभी मानव संपूर्ण रूप से देख भी नहीं पाया है।
प्राचीनकाल से लोग सागर की यात्रा करने और इसके रहस्यों को जानने की कोशिश में लगे हुए हैं।)
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(मात्र खारा पानी नहीं : पृथ्वी की सतह के 70 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में फैले समुद्र मूलत: खारे पानी का एक सतत निकाय हैं
अर्थात इसका पानी पीने लायक जरा भी नहीं होता। कुछ देर इसमें नहाने के बाद आपका बदन चिपचिपा हो जाएगा।
मनुष्य ज्यादा समय तक समुद्र के पानी में नहीं रह सकता। हालांकि इसके लिए उसने समुद्री सूट विकसित कर लिए हैं।
फिर भी कहना होगा कि कुछ सागर का पानी मात्र खारा ही नहीं है
कहीं-कहीं वह मीठा है, लेकिन पीने लायक नहीं।)
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कितने हैं समुद्र? पहले एक ही समुद्र था, फिर 3 हो गए और अब कई हैं। समुद्र को 'सागर' भी कहते हैं। सागरों से बड़े महासागर होते हैं और 3
ओर से घिरे समुद्र को खाड़ी कहते हैं। हालांकि सभी महासागर एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
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!1!. [महासागर : पृथ्वी का वह भाग, जो विशाल जलराशि (लवणीय जल) से घिरा हुआ है,
महासागर कहलाता है। पृथ्वी का 70 प्रतिशत भाग महासागरों से घिरा है।
प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिन्द महासागर, आर्कटिक महासागर तथा दक्षिणी महासागर कुल 5 महासागर हैं।
प्रशांत महासागर तथा अटलांटिक महासागर का विस्तार उत्तरी गोलार्द्ध तथा दक्षिणी गोलार्द्ध दोनों जगह है
इसलिए भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित उत्तरी प्रशांत महासागर तथा दक्षिण में स्थित दक्षिणी प्रशांत महासागर स्थित हैं।
इस प्रकार कुल मिलाकर 7 महासागर या 7 समंदर हैं। उल्लेखनीय है कि अंटार्कटिका में बर्फीली जमीन के अंदर 400 से ज्यादा झीलें हैं।]
!2!. [सागर : लवणीय जल का वह बड़ा क्षेत्र, जो महासागर से जुड़ा हुआ हो, 'सागर' कहलाता है।
कैस्पियन सागर सागर, मृत सागर, लाल सागर, उत्तर सागर, लापतेव सागर, भूमध्य सागर आदि अनेक।
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!3!. [गल्फ : जल का वह भाग, जो तीन तरफ स्थल भाग से घिरा हुआ हो, उसे 'गल्फ' कहते हैं।
गल्फ व खाड़ी लगभग समानार्थी शब्द हैं।
अरब की खाड़ी और बंगाल की खाड़ी का नाम ज्यादा प्रसिद्ध है। ]
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~हिन्दू शास्त्रों में समुद्र को 7 भागों में बांटा गया है-
लवण का सागर, इक्षुरस का सागर, सुरा का सागर, घृत का सागर, दधि का सागर, क्षीर का सागर और मीठे जल का सागर।
भारत के 3 ओर समुद्र है।
आंध्रप्रदेश, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, गोवा, गुजरात, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, पुडुचेरी, दमन और दीव तथा लक्षद्वीप
समूह भारत के समुद्र तटवर्ती राज्य हैं।
आओ जानते हैं धरती के समुद्रों के 10 रहस्यों के बारे में रोचक और रोमांचक जानकारी
समुद्र का जन्म : वैज्ञानिकों का अनुमान है कि समुद्र का जन्म आज से लगभग पचास करोड़ से 100 करोड़ वर्षों के बीच हुआ होगा है। दरअसल,
धरती के विशालकाय गड्ढ़े पानी से कैसे भर गए यह अनुमान लगाना मुश्किल है।
दूसरी ओर इतने विशालकाय गड्ढे कैसे निर्मित हुए यह भी एक बड़ा सवाल है।
वैज्ञानिक कहते हैं कि जब पृथ्वी का जन्म हुआ तो वह आग का एक गोला थी।
जब पृथ्वी धीरे-धीरे ठंडी होने लगी वे उसके चारों तरफ गैस के बादल फैल गए।
ठंडे होने पर ये बादल काफी भारी हो गए और उनसे लगातार मूसलाधार वर्षा होने लगी।
लाखों साल तक ऐसा होता रहा। पानी से भरे धरती की सतह के ये विशाल गङ्ढे ही बाद में समुद्र कहलाए।+
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थ्वी की 70.92 प्रतिशत सतह समुद्र से ढंकी है।
इसका आशय यह हुआ कि पृथ्वी के लगभग 36,17,40,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में समुद्र है।
विश्व का सबसे विशाल महासागर प्रशांत महासागर है जिसका क्षेत्रफल लगभग 16,62,40,000 वर्ग किलोमीटर है।
यह विश्व के सभी महासागरों का 45.8 प्रतिशत है। प्रशांत महासागर के भीतर जल जंतुओं की एक रहस्यमयी दुनिया है
जिस पर अभी भी खोज जारी है। शांत महासागर विश्व का सबसे गहरा सागर है। इसकी औसत गहराई 3939 मीटर है।
महासागर को छोड़कर यदि हम सागर की बात करें तो विश्व का सबसे विशाल सागर दक्षिण चीन सागर है जिसका क्षेत्रफल 2974600 वर्ग
किलोमीटर है।-------------------------------------------------------------------------------------------
समुद्री लहरों का रहस्य : समुद्र की लहरों को समुद्र विज्ञानी ही जानता है।
समुद्र की लहरें 3 तरह से पैदा होती हैं। पहली समुद्र की सतह पर बहने वाली हवा, दूसरी चंद्रमा के कारण उत्पन्न हुआ
ज्वार और तीसरी समुद्र के भीतर कहीं आया भूकंप।हवा या तूफान से उत्पन्न लहरें भूमि के पास उथले पानी में पहुंचने पर मंद पड़ने लगती हैं
फिर भी कभी-कभी इनकी ऊंचाई 30 से 50 मीटर तक हो सकती हैं। अधिक ऊंची लहरें अस्थिर हो जाती हैं
और अंतत: सागर तट पर झाग के रूप में टूटती हैं। 'सुनामी' नामक लहरें समुद्र तल पर आए भूकंप या भूस्खलन की वजह से उत्पन्न होती हैं
और सागर के बाहर बमुश्किल ही दिखाई देती हैं, लेकिन किनारे पर पहुंचने पर ये लहरें प्रचंड और विनाशकारी रूप धारण कर लेती हैं।
चंद्रमा से उत्पन्न लहरें भी कभी-कभी विनाशकारी साबित होती हैं।=====================
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चंद्रमा के कारण दैनिक रूप से 2 बार उत्पन्न होती हैं=
सुबह और शाम। यह घटना चंद्रमा द्वारा पृथ्वी पर लगाए जाने वाला गुरुत्व बल के कारण घटित होती है। इसके बाद अमावस्या को समुद्र शांत
रहता है जबकि पूर्णिमा को अशांत।
अद्भुत समुद्री जीव-जंतु : समुद्री जीव 2 प्रकार के होते हैं- पौधे तथा प्राणी। समुद्री जीवन धरती की अपेक्षा कहीं ज्यादा विचित्र और रहस्यों से भरा
है।
यहां एक और जहां विशालकाय व्हेल है तो दूसरी और आंखों से न दिखाई देने वाली मछलियां या जीव भी अपना जीवन जी रहे हैं।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ब्लू व्हेल की जीभ का वजन ही हाथी के बराबर है।
महासागर में मौजूद सबसे छोटा जीव प्लैंकटन है।समुद्र की गहराई के इस 1 प्रतिशत में रहने वाले जीवों और वनस्पतियों की किस्मों के बारे में
वैज्ञानिक जानकर हैरान रह गए हैं।
इन महासागरों के गर्भ में अद्भुत जीव-जंतु, दुर्लभ पौधे और हैरान कर देने वाले बैक्टीरियां मौजूद हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि समुद्र में जीव-जंतुओं की
2 लाख से अधिक प्रजातियां विचरण करती हैं।
बैक्टीरिया की 35 हजार प्रजातियां, वायरस की 5 हजार और एक कोशिकीय पौधों की करीब डेढ़ लाख नई प्रजातियां खोजी गई हैं।\
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शिकारी स्पर्म व्हेल और अंटाकर्टिक स्लीपर शार्क, अन्य भयानक शार्क, विशालकाय व्हेल, डरावनी शक्लों वाले ड्रैगन जैसी दिखने वाली मछलियां,
चमकीली मछलियां, लैंप जैसी आंखों वाली मछलियां, करीब 1 मीटर चौड़ी जेली फिश, स्टार फिश, पारदर्शी मछली, रंग बदलने वाली मछलियां आदि
हजारों मछली की प्रजातियां हैं। मछली को समुद्र का प्रमुख जीव माना जाता है। समुद्र मछलियों से भरा पड़ा है।
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हालांकि समुद्र में विशालकाय समुद्री सांप की लाखों प्रजातियां रहती है। जैसे, केप साटेनो के समुद्री सांप, एचएमएस डेडोलस के समुद्री सांप,
हालिफैक्स का समुद्री सांप, प्रिंस के समुद्री सांप, मानेड के समुद्री सांप, ऐजेडे के समुद्री सांप, ग्लॉस्टर के समुद्री सांप, ओलाउस के समुद्री सांप
आदि।\=
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इसके अलावा भयानक सूंडों वाले तरह-तरह के ऑक्टोपस, 13 मीटर लंबा आर्किटयूथिस, विशालकाय अनाकोंडा और भयानक जहरीले सर्पों से भरा है
समुद्र। इसके अलावा समुद्र में हजारों किस्म के बैक्टीरिया, कीड़े-मकोड़े, केकड़े और झींगों की संख्या करोड़ों में होगी, जो समुद्र की गहराइयों में पाए
जाते हैं। 2 मीटर तक के कीड़े भी समुद्र के कुछ विशेष क्षेत्र में पाए जाते हैं। सागर में जीवित प्राणियों के सभी प्रमुख समूह जैसे कि जीवाणु,
प्रोटिस्ट, शैवाल, कवक, पादप और जीव पाए जाते हैं।
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इसके अलावा कमल जैसे दिखने वाले रेंगते फूल, ब्लड रेड समुद्र फेनी (स्विड), रेंगने और कई भुजाओं वाले पौधे, कोरल और लाखों तरह की
वनस्पतियां पाई जाती हैं। अधिकांश समुद्री पौधे हरे, भूरे तथा लाल शैवाल हैं।*
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अब सवाल यह उठता है कि क्या सचमुच समुद्र में मत्स्य मानव, नाग कन्या या जलपरियां रहती है। दुनियाभर की लोककथाओं इन जलपरियों के
बारे में बहुत-सी कथाएं पढ़ने को मिलती है। कहते हैं कि कुंति पुत्र अर्जुन की एक पत्नी जलपरी ही थी।0
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कुछ वर्ष पूर्व अमेरिकी समुद्र में एक इसी तरह की मत्स्य कन्या पाई गई थी हालांकि उसे निकालने के पूर्व ही वह दहशत के कारण मर गई थीं।
अखबारों में इसके चित्र भी छपे थे। हालांकि यह खबर कितनी सच थी यह कोई नहीं जानता।=====================
समुद्री यात्रा : समुद्री यात्रा के संस्मरण पर हजारों किताबें लिखी गई हैं।
समुद्री लुटेरे, सिंदबाद जहाजी और समुद्र के सम्राट नाम से कई किताबें लिखी गई हैं।
समुद्री यात्रा के रोचक और रोमांचक संस्मरणों को पढ़कर हर कोई आश्चर्य करेगा कि आखिर समुद्र की दुनिया एक अलग ही दुनिया है जिसका
धरती की दुनिया से कोई मेल नहीं। हाल ही में एक फिल्म आई थी
'लाइफ ऑफ पाई'। निश्चित ही यह सच्ची घटना पर आधारित फिल्म न हो लेकिन ऐसे कई लोग हैं
जिन्होंने समुद्र में कई दिन जिंदगी और मौत के बीच गुजारे हैं।
रोमांचक समुद्री यात्राओं के बारे में जहाजों के कप्तानों ने अपनी डायरियों में अपने दुर्लभ और रोमांचक अनुभवों को दर्ज किया है।
वास्को डि गामा, कोलंबस के नाम तो समुद्री यात्रा के लिए प्रसिद्ध हैं ही, कई बार तो लोगों ने ऐसे ऐसे जीव देखे हैं जिसके बारे में सुनकर आश्चर्य
होता है कि आखिर यह चीज क्या है? यह कोई जीवधारी है या निर्जीव वस्तु? कई बार जहाज निकला कहीं और के लिए और पहुंच गया किसी
अनजान द्वीप पर। कई जहाज तो आज तक वापस लौटकर नहीं आए।==
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भारतीय उपमहाद्वीप को घेरे हुए नीले पानी में यात्रा करना स्मरणीय अनुभव होता है। भारत में समुद्री यात्रा का उपयोग मौर्य और मध्यकाल में
अधिक था।'
अधिकांशत: अरब सागर का उपयोग लक्षद्वीप पहुंचने और बंगाल की खाड़ी का उपयोग अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह पहुंचने में किया जाता है।
ये दोनों द्वीप समूह भारतीय उपमहाद्वीप के हिस्से हैं।
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बरमूडा त्रिभुज रहस्य : अटलांटिक समुद्र में एक ऐसी जगह है जिसे बरमूडा त्रिभुज कहा जाता है।
पिछले 100 वर्षो मे बरमूडा त्रिभुज में लोगों की मान्यताओं के अनुसार असाधारण रूप से ज्यादा संख्या में वायुयान
और जलयान रहस्यमय रूप से कोई सूराग न छोड़ते हुए अदृश्य हुए हैं।
कुछ रिपोर्टों के अनुसार इस क्षेत्र में 100 के आसपास वायुयान, जलयान और लगभग 1000 व्यक्ति लापता हुए हैं।
भोजन और खनिज : सागर दुनियाभर के लोगों के लिए भोजन, मुख्य रूप से मछली उपलब्ध कराता है
किंतु इसके साथ ही यह कस्तूरों, सागरीय स्तनधारी जीवों और सागरीय शैवाल की भी पर्याप्त आपूर्ति करता है।
इनमें से कुछ को मछुआरों द्वारा पकड़ा जाता है तो कुछ की खेती पानी के भीतर की जाती है।
भोजन और खनिज : सागर दुनियाभर के लोगों के लिए भोजन, मुख्य रूप से मछली उपलब्ध कराता है किंतु इसके साथ ही यह कस्तूरों, सागरीय
स्तनधारी जीवों और
सागरीय शैवाल की भी पर्याप्त आपूर्ति करता है। इनमें से कुछ को मछुआरों द्वारा पकड़ा जाता है
तो कुछ की खेती पानी के भीतर की जाती है।
समुद्री गुफाएं : समुद्र की गुफाएं समुद्री लहरों, भूकंपों और ज्वालामुखी के कारण बनती हैं। समुद्र में हजारों तरह की सुरंगें हैं।
ये समुद्री सुरंगें पानी से भरी हुई हैं। इन्हीं में से एक है मैक्सिको में। इन सुरंगों का पानी इतना साफ होता है कि गोताखोर पूरी सुरंग का मजा ले
सकते हैं।समंदर की बड़ी-बड़ी लहरें जब चट्टानों से लगातार टकराती हैं
तो उनमें सुराख कर देती हैं, जो धीरे-धीरे ये इतने बड़े हो जाते हैं कि गुफाओं की शक्ल ले लेते हैं। इसी तरह इटली की एक गुफा में भी एक और
गुफा है। इसके अलावा लावा से बनी गुफाएं अंदर से किसी नली जैसी दिखती हैं।
इस तरह की कई गुफाएं हवाई के द्वीपों पर मौजूद हैं।\
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चीन की रेनबो केव के बारे में कहा जाता है
कि कुछ हजार साल पहले यह जगह समुद्र में डूबी हुई थी, लेकिन अब यह खूबसूरत गुफा है।
कहते हैं कि कई साल पहले इस जगह पर समुद्र का जलस्तर कम हो गया तो इस केव का जन्म हुआ।
चीन के गुइलीन में स्थित यह गुफा इतने रंगों से भरी है कि इसे रेनबो केव भी कहते हैं। केव के भीतर एक रोमांटिक नदी ली भी बहती है। यह
केव करीब 240 मीटर लंबी है।
समुद्री पर्वत : समूची पृथ्वी पर पाए जाने वाले पर्वतीय श्रृंखलाओं में से एक है
70 हजार किलोमीटर लंबे समुद्र के भीतर का पर्वतनुमा क्षेत्र। समूचे समुद्र में ऐसे करीब 1 लाख बड़े पर्वतनुमा क्षेत्र हैं।
धरती पर सबसे ऊंचा पर्वत माउंट एवरेस्ट है, जो नेपाल-भारत-तिब्बत सीमा पर है
और इसकी चोटी समुद्र तल (लेवल) से 8,850 मीटर ऊंची है। लेकिन समुद्र के भीतर इससे भी ऊंचा एक पर्वत है जिसे मौना कीआ माउंटेन कहते
हैं।
मौना कीआ माउंटेन हवाई (संयुक्त राज्य अमेरिका) के नजदीक प्रशांत महासागर का एक हिस्सा है।
वास्तव में यह माउंटेन एक विशाल द्वीप है जिसका आधार समुद्र के तल से बहुत नीचे है। समुद्र तल से मौना कीआ की ऊंचाई 4,205 मीटर है।
लेकिन यह मौना की पूरी ऊंचाई नहीं है।
संयुक्त राज्य अमेरिका भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के अनुसार मौना कीआ माउंटेन समुद्र तल से 6,000 मीटर नीचे तक फैला हुआ है और
बेस से ऊपर चोटी तक ऊंचाई मापने पर इसकी कुल ऊंचाई 10,210 मीटर होती है।
समुद्र की इतनी गहराई में होने पर भी मौना कीआ ज्वालामुखी माउंटेन है।\
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~इसी तरह समुद्र में हजारों छोटे और बड़े पर्वत पाए जाते हैं। अब तक 1 लाख समुद्री पहाड़ों का पता लगाया जा चुका है। आमतौर पर इन पहाड़ों
की ऊंचाई 1 से 3 किमी तक होती है। इनमें से अधिकतर पहाड़ पानी के अंदर ही डूबे होते हैं, लेकिन उनमें से कुछ पानी के ऊपर भी आ गए हैं।
समुद्र के पानी से ऊपर उठे हुए चपटे पहाड़ों को द्वीप (Island) कहा जाता है। हवाई द्वीप समूह का जन्म ऐसे ही हुआ।!
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सागर के अंदर बहुत से पहाड़ हैं। मध्य सागर के मध्य में स्थित पर्वत श्रृंखला संसार में सबसे बड़ी श्रृंखला है। इसकी लंबाई लगभग 64,000 किमी
(40 हजार मील) है। प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) के उत्तरी-पूर्वी भाग में भी बहुत से पर्वत हैं। इनमें अधिकांश पर्वत तो पानी में डूबे
हुए हैं।
मौना कीआ माउंटेन हवाई (संयुक्त राज्य अमेरिका) के नजदीक प्रशांत महासागर का एक हिस्सा है।
वास्तव में यह माउंटेन एक विशाल द्वीप है जिसका आधार समुद्र के तल से बहुत नीचे है।
समुद्र तल से मौना कीआ की ऊंचाई 4,205 मीटर है। लेकिन यह मौना की पूरी ऊंचाई नहीं है। संयुक्त राज्य अमेरिका भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण
(यूएसजीएस) के अनुसार मौना कीआ माउंटेन समुद्र तल से 6,000 मीटर नीचे तक फैला हुआ है
और बेस से ऊपर चोटी तक ऊंचाई मापने पर इसकी कुल ऊंचाई 10,210 मीटर होती है। समुद्र की इतनी गहराई में होने पर भी मौना कीआ
ज्वालामुखी माउंटेन है।\
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इसी तरह समुद्र में हजारों छोटे और बड़े पर्वत पाए जाते हैं।
अब तक 1 लाख समुद्री पहाड़ों का पता लगाया जा चुका है।
आमतौर पर इन पहाड़ों की ऊंचाई 1 से 3 किमी तक होती है।
इनमें से अधिकतर पहाड़ पानी के अंदर ही डूबे होते हैं, लेकिन उनमें से कुछ पानी के ऊपर भी आ गए हैं।
समुद्र के पानी से ऊपर उठे हुए चपटे पहाड़ों को द्वीप (Island) कहा जाता है। हवाई द्वीप समूह का जन्म ऐसे ही हुआ।\
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सागर के अंदर बहुत से पहाड़ हैं।
मध्य सागर के मध्य में स्थित पर्वत श्रृंखला संसार में सबसे बड़ी श्रृंखला है।
इसकी लंबाई लगभग 64,000 किमी (40 हजार मील) है। प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) के उत्तरी-पूर्वी भाग में भी बहुत से पर्वत हैं।
इनमें अधिकांश पर्वत तो पानी में डूबे हुए हैं।
समुद्र की आवाज : प्रत्येक समुद्र की आवाज भिन्न है।
प्रशांत महासागर को अपेक्षाकृत शांत माना जाता है तो हिन्द महासागर को अशांत। कहीं-कहीं समुद्र की चिंघाड़ती हुई आवाज होती है, तो कहीं पर
किसी वाद्य यंत्र के बजने जैसी। कहीं पर सांय-सांय, तो कहीं पर हवा का इतना जोर होता है
कि हू-हू जैसी आवाज उछ समय पूर्व दक्षिणी महासागर में एक विचित्र बत्तख जैसी आवाज सुनाई देती थी।
वैज्ञानिकों ने बड़ी मशक्कत के बाद इस रहस्य को सुलझाया। उन्होंने उस बत्तख जैसी आवाज को 'जैव-बत्तख' उपनाम दिया था। यह आवाज
दक्षिणी महासागर में सर्दियों और वसंत के मौसम में सुनाई देती है!
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ध्वनि रिकॉर्डर की मदद से पता चला है कि ध्वनि वास्तव में पानी के नीचे अंटार्कटिक मींक व्हेल के दांत बजाने की आवाज है। ये निष्कर्ष 'रॉयल
सोसायटी जर्नल बायोलॉजी लेटर्स' में प्रकाशित हुए हैं।\
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अमेरिका के राष्ट्रीय समुद्रीय और वायुमंडलीय प्रबंधन (एनओएए) पूर्वोत्तर मत्स्य विज्ञान केंद्र मैसाचुसेट्स के प्रमुख शोधकर्ता डेनिस रिस्च ने कहा
कि इस ध्वनि संकेत के स्रोत को खोजना मुश्किल था। पिछले कुछ वर्षों में कई सुझाव दिए गए लेकिन कोई भी वास्तव में अब तक यह दिखाने में
सक्षम नहीं था कि ये प्रजाति यह आवाज निकाल रही थी।\
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इस अजीब आवाज को पहली बार 50 साल पहले पनडुब्बियों ने पकड़ा था।
जिसने भी इसे सुना वह इस बत्तखनुमा आवाज को सुनकर हैरान था।
तब से लेकर कई बार पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के पास अंटार्कटिक के पानी में कम आवृत्ति वाली यह ध्वनि रिकॉर्ड की गई।
इसके स्रोत को लेकर किसी मछली से लेकर जहाज तक की अटकलें लगाई जा रही थीं।\
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इसी तरह प्रत्येक समुद्र की आवाज भी रहस्यमयी है। जरूरी नहीं है कि जो आवाज आ रही है वह लहरों या हवाओं की ही हो।
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त्पन्न होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार हर समुद्र की आवाज के पीछे कुछ कारण होता है।
यह आवाज समुद्र की पहचान होती है।
समुद्र की गहराई : सभी सागरों की गहराई अलग-अलग मानी गई है।
हालांकि महासागरों की गहराई का रहस्य अभी भी बरकरार है।
समुद्र की गहराई बेहद ठंडी, अंधेरी होती है और कभी-कभी तो ज्यादा दबाव के कारण यहां ऑक्सीजन भी काफी कम हो जाती है।
धरती पर जितना दबाव महसूस होता है, समुद्र की गहराइयों में यह 1,000 गुना ज्यादा होता है।
इतना ज्यादा दबाव कि बायोकैमेस्ट्री भी यहां फेल हो जाए। इस दबाव की सचाई यह है कि समुद्र की तलहटी में रहने की 1 प्रतिशत से भी कम
जगहों का अभी तक पता चला है, जहां जीव और जंतु रहते हैं।!
the end
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